नये दिन की नयी शुरुआत बाकी है। नये दिन की नयी शुरुआत बाकी है।
अभी बाकी है दीन दुखियों की पुकार अभी बाकी है जन शोषण की खुमार ! अभी बाकी है दीन दुखियों की पुकार अभी बाकी है जन शोषण की खुमार !
स्पर्श हरा है अभी स्पर्श हरा है अभी
बहुत कुछ है अभी बहुत कुछ है अभी
उठ चल कि तुझमे ये जाँ अभी बाक़ी है तू औरत है यही तेरे निशां अभी बाक़ी हैं। उठ चल कि तुझमे ये जाँ अभी बाक़ी है तू औरत है यही तेरे निशां अभी बाक़ी हैं।
‘बोलो न भैया । हर बात का सस्पेंस बना कर रखते हो ।’ ‘हं ... हां .... इस बार मैं सच में ‘बोलो न भैया । हर बात का सस्पेंस बना कर रखते हो ।’ ‘हं ... हां .... इस बार मै...